बुधवार, 20 सितंबर 2017

किराएदार हूँ, अपना मकान थोड़े है!!

जो आज साहिबे मसलन हूँ,
वो कल थोडे हैं।
किरायेदार हूँ,अपना मकान थोड़े है।

आत्मा हमारे जिस्में साज है,
वो आज है, कल थोड़े है
दर्दे जख्म से आज दिल लहूलुहान है,
आंसुओं की बरसात,
जो आज है,कल थोड़े है।

साहिबे कद्र के जो हैं अरमान,
चाहतों के सिलसिले जो हैं ख़ास,
वो आज हैं, कल थोड़े है।

बिताए इतने वक़्त,रहमते दरकार,
लगाए जो तोहमत आपने सरकार,
ये रहनुमा ,तुम्हारे प्यार के तरसदार
वो आज है ,कल थोड़े है।
किरायेदार हूँ,अपना मकान थोड़े है।।
पूनम🎲

1 टिप्पणी:

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